भारत WTC Final हार गया. न्यूज़ीलैंड ने आठ विकेट से जीत दर्ज कर टीम इंडिया के फ़ैन्स को निराश कर दिया. लेकिन इस हार के पीछे कहीं ना कहीं भारत खुद जिम्मेदार था. जी हां, इस मैच में कई ऐसे अनचाहे रिकॉर्ड बने जो नहीं बनने चाहिए थे. भारत की दूसरी पारी में ऋषभ पंत ने सबसे ज्यादा 41 रन बनाए. जबकि पहली पारी में अजिंक्य रहाणे ने 49 रन की पारी खेली थी.
साल 2018 के लॉर्ड्स टेस्ट के बाद यह पहली बार था जब भारतीय टीम का कोई भी बल्लेबाज फिफ्टी नहीं मार पाया. इस दौरान भारतीय टीम ने 26 टेस्ट मैच खेले थे. और ये फिफ्टी ना लगने के चलते ही टीम इंडिया दोनों ही पारियों में 250 तक भी नहीं पहुंच पाई. पहली पारी में 217 रन बनाने वाला भारत दूसरी पारी में 170 रन ही बना पाया.
इसके साथ ही केन विलियमसन की टीम उन चंद टीमों में शामिल हो गई जिसने लगातार छह टेस्ट पारियों में भारत को 250 के अंदर समेटा हो. साथ ही यह चौथा मौका था जब कीवी पेसर्स ने भारत को दोनों पारियों में ऑलआउट किया, यानी पूरे 20 विकेट लिए. इस टेस्ट से पहले कीवी पेसर्स वेलिंगटन (2002), हैमिल्टन (2002) और ऑकलैंड 2014 में यह कारनामा कर चुके थे.
विराट कोहली के लिए भी यह टेस्ट भूलने वाला रहा. IPL में उनकी ही टीम के लिए खेलने वाले पेसर काएल जेमिसन ने दोनों पारियों में उनका विकेट लिया. साथ ही यह ICC इवेंट्स में उनकी तीसरी नाकामी रही. कोहली की कप्तानी में भारत 2017 की चैंपियंस ट्रॉफी का फाइनल, 2019 क्रिकेट वर्ल्ड कप का सेमी-फाइनल और अब 2021 वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल हार चुका है.
बारिश के चलते यह फाइनल रिजर्व डे तक गया. यानी ऑफिशली यह टेस्ट छह दिनों का रहा. इससे पहले आखिरी बार फरवरी 1990 में छह दिनों का टेस्ट खेला गया था. ऑस्ट्रेलिया और पाकिस्तान के बीच सिडनी में हुए इस टेस्ट के पहले दो दिन का खेल बारिश से धुल गया था.