कोरोना वायरस अभी खत्म नहीं हुआ है। वैक्सीन के बावजूद भी यूरोप कोरोना महामारी का केंद्र बना हुआ है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के शीर्ष अधिकारियों ने गुरुवार को कहा कि यूरोप में पिछले महीने कोरोना वायरस के मामलों में 50 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी हुई है, जिससे टीकों की पर्याप्त आपूर्ति के बावजूद यह महामारी का केंद्र बना हुआ। विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से कहा गया कि यूरोप और मध्य एशिया के 53 देश आने वाले हफ्तों में कोरोना वायरस महामारी के पुनरुत्थान के ‘वास्तविक खतरे’ का सामना कर सकते हैं, जो पहले से ही संक्रमण की एक नई लहर से जूझ रहे हैं। संगठन ने इन देशों में कोरोना वायरस की एक और लहर के खतरे का अंदेशा जताया है।
डब्ल्यूएचओ के आपात स्थिति के प्रमुख डा. माइकल रयान ने गुरुवार को एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा, ‘बहुत सारे टीके उपलब्ध हो सकते हैं, लेकिन टीके का उपयोग समान नहीं रहा है।’ संगठन ने यूरोपीय अधिकारियों से कोरोना टीकाकरण में अंतर को बंद करने का आह्वान किया। हालांकि, डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम घेबियस ने कहा कि जिन देशों ने अपनी 40 फीसद से अधिक आबादी का टीकाकरण किया है, उन्हें अपनी कोरोना खुराक को विकासशील देशों को दान करना चाहिए, क्योंकि ऐसे देशों में कोरोना का पहला टीका भी मिला है।
वहीं WHO के 53 देशों के यूरोप क्षेत्र के निदेशक डॉ. हंस क्लूज ने कहा कि कोरोना मामलों की संख्या फिर से करीब-करीब रिकार्ड स्तर तक बढ़ने लगी है और क्षेत्र में संक्रमण की रफ्तार गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने डेनमार्क के कोपनहेगन में संगठन के यूरोप मुख्यालय में पत्रकारों से कहा कि हम महामारी के उभार को लेकर एक अहम मोड़ पर खड़े हैं।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कोरोना वायरस के फैलाव को रोकने वाले उपायों और कुछ क्षेत्रों में टीकाकरण की कम दर के कारण मामले बढ़ रहे हैं। पिछले एक हफ्ते में 53 देशों में कोरोना के चलते लोगों के अस्पताल में भर्ती होने की दर दोगुनी से ज्यादा बढ़ी है और अगर यह स्थिति जारी रहती है तो क्षेत्र में फरवरी तक पांच लाख और लोगों की महामारी के कारण मौत हो सकती है।