प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार रात पश्चिम बंगाल में मतुआ समुदाय को वर्चुअल माध्यम से संबोधित करते हुए अत्याचार और हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने के लिए लोगों से आह्वान किया। पीएम ने कहा कि समाज में अगर कहीं भी किसी का उत्पीडऩ हो रहा हो, तो वहां जरूर आवाज उठाएं। ये हमारा समाज के प्रति भी और राष्ट्र के प्रति भी कर्तव्य है। पीएम मतुआ समुदाय के गुरु श्री श्री हरिचंद ठाकुर की जन्मतिथि के मौके पर यहां उत्तर 24 परगना जिले के श्रीधाम ठाकुरनगर में मतुआ धर्म महा मेला 2022 को संबोधित कर रहे थे।
इस दौरान पीएम ने मतुआ समाज के लोगों से यह भी आग्रह किया कि सिस्टम से भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए समाज के स्तर पर जागरूकता को और बढ़ाएं और इसके खिलाफ आवाज उठाएं। पीएम ने कहा कि राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा लेना हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है। लेकिन राजनीतिक विरोध के कारण अगर किसी को हिंसा से डरा-धमकाकर कोई रोकता है तो वो दूसरे के अधिकारों का हनन है। इसलिए ये हमारा कर्तव्य है कि हिंसा, अराजकता की मानसिकता अगर समाज में कहीं भी है तो उसका विरोध किया जाए।
पीएम ने आगे कहा कि ये मतुआ महामेला, मतुआ परंपरा को नमन करने का अवसर है। ये उन मूल्यों के प्रति आस्था व्यक्त करने का अवसर है जिनकी नींव श्री श्री हरिचंद ठाकुर जी ने रखी थी। इसे गुरुचंद ठाकुर जी और बोरो मां ने सशक्त किया। उन्होंने मतुआ महासंघ के प्रमुख व केंद्रीय राज्यमंत्री शांतनु ठाकुर का भी जिक्र करते हुए कहा कि आज उनके (शांतनु जी) के सहयोग से ये परंपरा इस समय और समृद्ध हो रही है।
पीएम ने कहा- हम अक्सर कहते हैं कि हमारी संस्कृति, हमारी सभ्यता महान है। ये महान इसलिए है क्योंकि इसमें निरंतरता है, ये प्रवाहमान है, इसमें खुद को सशक्त करने की एक स्वाभाविक प्रवृत्ति है। पीएम ने आगे कहा कि आज जब भारत बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के अभियान को सफल बनाता है, जब माताओं-बहनों-बेटियों के स्वच्छता, स्वास्थ्य और स्वाभिमान को सम्मान देता है, जब स्कूलों-कालेजों में बेटियों को अपने सामथ्र्य का प्रदर्शन करते अनुभव करता है, जब समाज के हर क्षेत्र में हमारी बहनों-बेटियों को बेटों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर राष्ट्र निर्माण में योगदान देते देखता है, तब लगता है कि हम सही मायने में श्री श्री हरिचंद ठाकुर जी जैसी महान विभूतियों का सम्मान कर रहे हैं।
पीएम ने कहा कि जब सरकार सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के आधार पर सरकारी योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाती है, जब सबका प्रयास, राष्ट्र के विकास की शक्ति बनता है, तब हम सर्वसमावेशी समाज के निर्माण की तरफ बढ़ते हैं। हरिचंद ठाकुर जी ने एक और संदेश दिया है जो आजादी के अमृतकाल में भारत के हर भारतवासी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने ईश्वरीय प्रेम के साथ-साथ हमारे कर्तव्यों का भी हमें बोध कराया। कर्तव्यों की इसी भावना को हमें राष्ट्र के विकास का भी आधार बनाना है। हमारा संविधान हमें बहुत सारे अधिकार देता है। उन अधिकारों को हम तभी सुरक्षित रख सकते हैं, जब हम अपने कर्तव्यों को ईमानदारी से निभाएंगे।
दबे-कुचलों की आवाज थे हरिचंद ठाकुर
बताते चलें कि मतुआ समुदाय के गुरु श्री श्री हरिचंद ठाकुर ने देश की आजादी से पहले के दौर में अविभाजित बंगाल में उत्पीडि़त, समाज के दबे-कुचले और बुनियादी सुविधाओं से वंचित लोगों की भलाई के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया था। उनके द्वारा शुरू किया गया सामाजिक एवं धार्मिक आंदोलन वर्ष 1860 में ओरकांडी (अब बांग्लादेश में) से शुरू हुआ था और फिर इसकी परिणति मतुआ धर्म की स्थापना के रूप में हुई थी।