रूस को लेकर भारत पर पश्चिमी देशों का दबाव कम होता नजर नहीं आ रहा। संकेत है कि यह दबाव आने वाले दिनों में और बढ़ेगा। इन देशों की तरफ से भारत पर अब एक नया दबाव यह बनाया जा रहा है कि रूस को समूह-20 (जी-20) की बैठक से बाहर करने में वह पहल करे। यह भारत के लिए ज्यादा दुविधा वाला साबित हो सकता है क्योंकि वर्ष 2023 में जी-20 की शिखर बैठक भारत में होनी है जबकि 2022 की बैठक इंडोनेशिया में होनी है।
जी-20 बैठक में पुतिन नामंजूर
सोमवार को नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में आस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त ने साफ कहा कि जी-20 बैठक में पुतिन नहीं होने चाहिए। हम इसके लिए लगातार लाबिंग करते रहेंगे। संकेत इस बात के हैं कि इस महीने अमेरिका और जापान के साथ भारत की होने वाली टू-प्लस-टू वार्ता में भी यह मुद्दा उठाया जाएगा।
विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री जाएंंगे अमेरिका
भारत और अमेरिका के बीच टू-प्लस-टू वार्ता (दोनों देशों के विदेश व रक्षा मंत्रियों की) 11 अप्रैल, 2022 को वाशिंगटन में होनी है। इसके लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अमेरिका जाएंगे। उसके तुरंत बाद दोनों के टोक्यो जाने की सूचना है।
रूस से ज्यादा तेल की खरीद अमेरिका को नापसंद
ये दोनों देश रूस को लेकर समान विचार रखते हैं। अमेरिका सार्वजनिक तौर पर कह चुका है कि वह भारत की तरफ से रूस से ज्यादा तेल खरीदने या रूस के साथ स्थानीय मुद्रा में कारोबार करने को सही नहीं मानता। जबकि पिछले दिनों पीएम नरेन्द्र मोदी के साथ शिखर वार्ता में जापान के पीएम फुमियो किशिदा ने रूस के खिलाफ सख्त शब्दों का इस्तेमाल किया था।
रूस को जी-20 से बाहर करने की मांग
अमेरिका व जापान की तरफ से रूस को जी-20 से बाहर करने की मांग आ चुकी है। कनाडा, ब्रिटेन भी इसके समर्थन में बयान दे चुके हैं। आस्ट्रेलिया के भारत में उच्चायुक्त बैरी ओफैरेल ने एक कार्यक्रम में कहा कि, जी-20 से पुतिन को बाहर करने का मुद्दा समूह-20 देशों के बीच ही सुलझाया जाना चाहिए। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद कम से कम दस देश रूस की सदस्यता खत्म करने को लेकर अपनी बात सामने रख चुके हैं।
कोई स्पष्ट नीति नहीं
इसमें अमेरिका, जापान, कनाडा, आस्ट्रेलिया के अलावा ज्यादातर यूरोपीय देश हैं। वैसे जी-20 बैठक से किसी देश को बाहर करने की कोई स्पष्ट नीति नहीं है लेकिन पूर्व में जब जी-8 की बैठक तब अमेरिका व उसके सहयोगियों ने क्रीमिया पर हमले को लेकर रूस को बाहर करने का फैसला किया था।
जून में बैठक संभव
माना जा रहा है कि इस विषय में अमेरिका व उसके सहयोगी देश जून, 2022 में जी-20 के विदेश मंत्रियों की बैठक में फैसला कर सकते हैं। अभी तक आधिकारिक तौर पर चीन की तरफ से कहा गया है कि रूस को जी-20 से अलग करने के प्रस्ताव को वह स्वीकार नहीं करेगा।
रूस को इन देशों का मिल सकता है साथ
चीन के अलावा रूस को द. अफ्रीका, व सउदी अरब का साथ भी मिल सकता है। भारत ने यूक्रेन के मुद्दे पर अब तक जो रुख दिखाया है उसे देखते हुए इस बात की संभावना कम ही है कि वह पश्चिमी देशों की मांग पर आंख मूंद कर समर्थन करेगा। ध्यान रहे अक्टूबर, 2022 में जी-20 शिखर बैठक के आस पास ही भारत और रूस के बीच सालाना शिखर सम्मेलन भी होना है।