फिल्म समीक्षा “जलसा”
लेखक : प्रज्वल चंद्रशेखर
निर्देशक : सुरेश त्रिवेणी
मुख्य कलाकार: शेफाली शाह, विद्या बालन, रोहिणी ।
अवधि: 02:06 मिनिट
रेटिंग: 3.5/5
इस हफ्ते ओटीटी पर रिलीज हुईं है फिल्म “जलसा” मानवीय संवेदनाओं से इतनी गहराई से गुंथी हुई है कि दर्शक पात्रों की दुविधा, उनका अंतर्द्वंद सहज ही महसूस कर पाते हैं ।
कहानी कुछ इस प्रकार है कि माया मेनन (विद्या बालन) एक ऐसे न्यूज़ चैनल की हेड है जिसका काम है सच को उजागर करना । माया अपने बच्चे आयुष(सूर्य कासीभाटला) और मां(रोहिनी हटगंडी) के साथ रहती है । उसके घर में काम करने वाली रुकसाना(शेफाली शाह) उसके बेटे पर जान छिड़कती है। दुर्भाग्यवश माया की कार से रुकसाना की बेटी का एक्सीडेंट हो जाता है । माया के ऑफिस में काम करने वाली एक ट्रेनी इस केस की तह तक पहुंच जाती है और एक दिन रुकसाना को भी सच पता चल जाता है । रुकसाना के पास भी आयुष के रूप में अपना प्रतिशोध लेने के लिए मौका होता है । विद्या का सच बोलने का और शेफाली का प्रतिशोध लेने काअंतिम दृश्य अंत तक रोमांच बनाए रखता है ।
फिल्म पूरी तरह से विद्या और शेफाली शाह के कंधों पर हैं । दोनों ने साबित कर दिया कि अभिनय के मामले में कोई उन्हें छू भी नहीं सकता । शेफाली का मौन, आंखें और भाव भंगिमाए कुछ कहे बिना भी सब कुछ कह जाती हैं । बाकि कलाकारों ने भी अच्छा काम किया है । आयुष के रूप में (सूर्या) ने भी बेहतरीन काम किया है । स्क्रीन पर उनकी उपस्थिति ठंडी हवा के झोंके सी है । फिल्म के लेखक भी बधाई के पात्र हैं । फिल्म से सिर्फ एक शिकायत है वह है, इसका शीर्षक जो और बेहतर चुना जा सकता था किंतु कुल मिलाकर यह एक खूबसूरत फिल्म है ।