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नोएडा से क्यों दूर भागते हैं अखिलेश यादव?

उत्तर प्रदेश (UP Election 2022) की सत्ता पर काबिज होने का सपना देख रहे सपा प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) अंधविश्वास का दामन छोड़ने को तैयार नहीं हैं. नोएडा (Noida) को वो आज भी अशुभ मानते हैं. अखिलेश ने पिछले 11 सालों से नोएडा की भूमि पर कदम नहीं रखा है. 2012 से 2017 तक अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल तक में वह एक भी बार नोएडा नहीं आए. हाल ही में चुनाव प्रचार के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री का काफिला रात 11 बजे ग्रेटर नोएडा के लुहाली (दादरी) टोल प्लाजा पहुंचा, लेकिन उन्होंने हर बार की तरह नोएडा की जमीन पर पैर नहीं रखा. 

टोल प्लाजा पर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता बारिश के बावजूद कई घंटों से अखिलेश का इंतजार कर रहे थे. 11 साल बाद पहुंचे अखिलेश के आते ही कार्यकर्ताओं ने ढोल नगाड़ों के साथ उनका स्वागत किया. लेकिन अखिलेश अपनी गाड़ी से नीचे तक नहीं उतरे. सपा प्रमुख ने अपने रथ की खिड़की खोलकर हाथ हिलाया और दिल्ली की तरफ रवाना हो गए. कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी कि अखिलेश नीचे उतरकर उनसे मुलाकात करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. 

दरअसल, माना जाता है कि जो भी नेता नोएडा का दौरा करता है उसकी कुर्सी चली जाती है. 1980 से लेकर अब तक 5 बार ऐसा हो चुका है, जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों को नोएडा का दौरा करने के बाद अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी. अखिलेश भी इस अंधविश्वास को मानते हैं. इसलिए अपनी सरकार जाने के बाद भी उन्होंने नोएडा में कदम नहीं रखा. 1980 में एनडी तिवारी नोएडा आए थे, और मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवा बैठे. इसी तरह, 1988 में वीर बहादुर सिंह ने नोएडा का दौरा किया, इसके कुछ दिन बाद उनकी कुर्सी चली गई. 1995 में मुलायम सिंह, 1997 में मायावती और 1999 में कल्याण सिंह के साथ भी यही हुआ था. 2011 में भी मायावती नोएडा आईं और 2012 में सत्ता से बाहर हो गईं.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस अंधविश्वास को नहीं मानते. अपने कार्यकाल के दौरान वह 20 से ज्यादा बार नोएडा आ चुके हैं. सीएम योगी मेट्रो का उद्घाटन करने के लिए 23 दिसंबर 2017 को नोएडा आए थे. इस दौरान हुई सभा में पीएम नरेंद्र मोदी ने पहली बार अखिलेश को नोएडा के बहाने अंधविश्वासी करार दिया था. 25 दिसंबर 2017 को प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि आज मुझे खुशी है कि जिस नोएडा को लेकर एक छवि बन गई थी कि कोई मुख्यमंत्री यहां आ नहीं सकता. उस मिथक को योगीजी ने बिना बोले अपने आचरण से सिद्ध कर दिया कि ये मान्यताएं गलत होती हैं. आधुनिक युग में ऐसा हो नहीं सकता.

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