Sunday, December 3, 2023
14.1 C
Delhi
Sunday, December 3, 2023
- Advertisement -corhaz 3

‘कश्मीर में हर रहने वाला हर हिंदी कश्मीरी पंडित नहीं’: हाई कोर्ट

जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट ने अपने एक हालिया फैसले में कहा है कि कश्मीर घाटी में रहने वाला हर हिंदू कश्मीरी पंडित नहीं है और विशेष रोजगार योजनाओं का लाभ नहीं ले सकता है, जिसका मतलब विशिष्ट समुदाय के सदस्यों के लिए है. जस्टिस संजीव कुमार ने मंगलवार को कुछ हिंदू समूहों और सिखों को कश्मीरी पंडितों के लिए प्रधानमंत्री के नौकरी पैकेज में शामिल करने की मांग करने वाली याचिका को कर दिया है.

जस्टिस संजीव कुमार ने कहा कि लक्षित समूह एक अलग पहचान योग्य समूह है जो कि घाटी में रहने वाले अन्य हिंदुओं जैसे राजपूतों और ब्राह्मणों के अलावा कश्मीरी पंडितों, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य लोगों से अलग है. 

याचिकाकर्ता ने तर्क रखा कि सिख समुदाय के अलावा अन्य हिंदू समूहों को भी बहुत नुकसान पहुंचा है और गैर प्रवासी कश्मीरी पंडितों के समान लाभ के लिए विचार किया जाना चाहिए. 

हालांकि अदालत ने कहा कि यह तर्क कि उन्हें कश्मीरी पंडितों के रूप में रखा जा सकता है बेतुका है और इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है. 

उन्होंने कहा, “इस बात से कोई इनकार नहीं है कि आम बोलचाल में कश्मीरी पंडित कश्मीरी भाषा बोलने वाले ब्राह्मणों का एक समुदाय है, जो घाटी में पीढ़ियों से रहे हैं और उनकी पहचान उनके पहनावे, रीति-रिवाजों और परंपराओं से हैं”. 

साल 2009 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कश्मीरी प्रवासियों की कश्मीर में वापसी और पुनर्वास की सुविधा के उद्देश्य से एक प्रधानमंत्री पैकेज शुरू किया था. योजना के तहत प्रवासी कश्मीरी पंडितों के लिए छह हजार सरकारी नौकरियों की घोषणा की गई. पहले ही चार हजार पद भरे जा चुके हैं और हाल ही में दो हजार पदों के लिए जम्मू और कश्मीर सेवा चयन बोर्ड द्वारा विज्ञापन दिया गया है. 

More articles

- Advertisement -corhaz 300

Latest article

Trending