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एंटीगुआ से भागकर भगोड़ा हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी अब डोमिनिका की हिरासत में

पंजाब नैशनल बैंक (PNB) के साथ 13,500 करोड़ के घोटाले में अभियुक्त मेहुल चोकसी की लुका-छुपी का खेल जारी है. चार दिन पहले भगोड़ा हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी एंटीगुआ से गायब हो गया था. अब खबर आई है कि उसे कैरेबियन देश डोमिनिका में हिरासत में ले लिया गया है. कयास लगाए जा रहे हैं कि उसे एंटीगुआ पुलिस को सौंपा जाएगा या सीधे भारत डिपोर्ट कर दिया जाएगा.

भारत से फरार होने के बाद मेहुल चोकसी ने एंटीगुआ की नागरिकता ले ली थी. लेकिन सीबीआई उसके पीछे पड़ी हुई थी. भारत सरकार लगातार एंटीगुआ पर मेहुल को सौंपने का दबाव बना रही थी. इसके चलते अंदाजा था कि मेहुल एंटीगुआ छोड़ सकता है. हुआ भी यही. रविवार 23 मई को उसके एंटीगुआ से फरार होने की खबर आई. दावा किया जा रहा था कि वह एंटीगुआ छोड़कर शायद क्यूबा में चला गया है. मेहुल का क्यूबा में भी एक आलीशान घर है. लेकिन अब उसके डोमिनिका में होने की सूचना मिली है. वहां की पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया है. डोमिनिका भी एंटीगुआ की तरह वेस्टइंडीज के द्वीप समूहों में से एक है.

भारतीय एजेंसियां हरकत में

भारतीय एजेंसियों को जैसे ही मेहुल चोकसी के डोमिनिका में पकड़े जाने की जानकारी मिली, वो हरकत में आ गई. उसे भारत लाने के हर विकल्प पर विचार किया जा रहा है. इंडिया टुडे के मुताबिक, इंटरपोल ने भारतीय एजेंसियों को जानकारी दी है कि मेहुल चोकसी को डोमिनिका में पकड़ लिया गया है. सरकार से जुड़े एक सूत्र ने इंडिया टुडे को बताया-

मेहुल चोकसी एंटिगुआ में नहीं है. वह डोमिनिका का नागरिक भी नहीं है. ऐसे में उसे इंटरपोल के रेड कॉर्नर नोटिस के आधार पर सीधे भारत को प्रत्यर्पित किया जा सकता है. वह भारत में आरोपी है और प्रत्यर्पण एक विकल्प है.

एंटीगुआ बोला, डोमिनिका चाहे तो भारत भेज दे

मेहुल चोकसी को लेकर एंटीगुआ ने भी अपना रुख साफ किया है. उसने डोमिनिका सरकार से अनुरोध किया है कि वह मेहुल चोकसी को भारत भेज दे. हालांकि उसने यह भी बोला है कि अगर किसी कानूनी अड़चन की वजह से चोकसी को भारत नहीं भेजा जा सकता, तो एंटीगुआ उसे वापस लेने के लिए राजी है. एंटीगुआ के प्रधानमंत्री बारबुदा गैस्टन ब्राउन ने इंडिया टुडे से कहा-

हमने डोमिनिका सरकार से साफ कह दिया है कि अवैध रूप से देश में घुसने वाले मेहुल चोकसी को हिरासत में रखें. वह चाहें तो चोकसी को भारत प्रत्यर्पित कर सकते हैं. हम भारत के लगातार संपर्क में हैं. अगर वह किसी भी कानूनी वजह से एंटीगुआ वापस आता है तो हम उसे रखेंगे और कानूनी सुरक्षा देंगे.

हम ये भी जांच कर रहे हैं कि आखिर चोकसी एंटीगुआ से भागने में सफल कैसे हुआ. हम पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या उसे स्थानीय स्तर पर मदद मिली थी. मेहुल ने एंटीगुआ में तकरीबन 1 लाख डॉलर का निवेश किया है. यह बहुत तुच्छ निवेश है. अगर वह नागरिकता छोड़ देता है तो हम उसका पैसा वापस कर सकते हैं.

हालांकि समाचार एजेंसी ANI ने एंटीगुआ के प्रधानमंत्री ब्राउन के हवाले से लिखा है कि वह मेहुल को अपने देश में वापस नहीं लेंगे. ANI के मुताबिक, पीएम ब्राउन का कहना है- 

डोमिनिका मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण के लिए राजी हो गया है. हम उसे वापस स्वीकार नहीं करेंगे. उसने एंटीगुआ को छोड़कर एक भारी भूल की है. डोमिनिका सरकार और कानूनी एजेंसियां सहयोग कर रही हैं. हमने भारत सरकार को बता दिया है कि वह चोकसी को प्रत्यर्पित कर सकती है.

बता दें कि एंटीगुआ के प्रधानमंत्री गैस्टन ब्राउन एक बार पहले भी मेहुल को भारत भेजने का ऐलान कर चुके हैं. 2019 में गैस्टन ब्राउन ने कहा था कि मेहुल चोकसी को पहले यहां की नागरिकता मिली हुई थी, पर अब इसे रद्द किया जा रहा है. उसे भारत प्रत्यर्पित किया जा रहा है. हम किसी ऐसे शख्स को अपने देश में नहीं रखेंगे, जिस पर किसी भी तरह के आरोप लगे हों. लेकिन ब्राउन ने आगे ये भी कहा था कि अभी मेहुल से जुड़ा मामला कोर्ट में है. इसलिए हमें पूरी प्रक्रिया का पालन करना होगा. मेहुल चोकसी को कानूनी प्रक्रिया पूरा करने का समय दिया जाएगा. जब उसके पास कोई भी कानूनी ऑप्शन नहीं बचेगा तो उसे भारत प्रत्यर्पित कर दिया जाएगा.

क्यों हर बार भाग जाता है चोकसी?

कहा जा रहा है कि मेहुल एंटीगुआ से भागने में इसलिए सफल रहा था क्योंकि उसने एक साथ कई कैरेबियाई देशों की नागरिकता ले रखी है. इसी वजह से वो हर बार भागने की फिराक में रहता है. मालूम हो कि मेहुल चोकसी और उसका भांजा नीरव मोदी पंजाब नेशनल बैंक के साथ 13,500 करोड़ रुपये की हेराफेरी के मामले में आरोपी हैं. भारत से भागने के बाद मेहुल जनवरी 2018 से एंटीगुआ में है. इस कैरेबियन द्वीप में कोई भी मोटा पैसा देकर नागरिकता हासिल कर सकता है. मेहुल चोकसी ने इसी तरह से यहां की नागरिकता ली थी. उसे भारत में मुकदमा चलाने के लिए वापस लाने के लिए सीबीआई लगातार कोशिशें कर रही हैं, लेकिन अभी तक कामयाबी नहीं मिल पाई है.

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