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महुआ ने शादी पर दी पहली प्रतिक्रिया, पिनाकी मिश्रा संग तस्वीर साझा कर किया इमोशनल पोस्ट

तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने बीजू जनता दल के वरिष्ठ नेता पिनाकी मिश्रा के साथ अपनी शादी को लेकर चल रही चर्चाओं पर पहली बार चुप्पी तोड़ी है। आज सोशल मीडिया पर दोनों की शादी की तस्वीरें वायरल हुईं थी। जिनमें महुआ और पिनाकी विवाह के पारंपरिक परिधान में नजर आए। हालांकि, दिनभर इन तस्वीरों को लेकर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया था। गुरुवार शाम को महुआ ने एक्स के जरिए अपनी शादी की पुष्टि की है।

महुआ ने एक्स पर अपने पोस्ट में लिखा, ‘आप सभी के स्नेह और शुभकामनाओं के लिए तहे दिल से धन्यवाद। मैं बेहद आभारी हूं।’ उनकी इस प्रतिक्रिया के बाद सोशल मीडिया पर बधाईयों का सिलसिला शुरू हो गया। बताया जा रहा है कि दोनों ने 3 मई को जर्मनी में शादी की।

शादी के बाद महुआ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जो तस्वीर पोस्ट की, उसमें दोनों एक-दूसरे का हाथ पकड़कर केक काट रहे हैं।तृणमूल की सांसद सायोनी घोष ने भी दोनों को बधाई दी है। घोष ने ‘एक्स’ पर मोइत्रा, मिश्रा और साथी सांसद जून मलैया के साथ अपनी एक तस्वीर साझा करते हुए कहा, ‘बधाई हो महुआ मोइत्रा और पिनाकी मिश्रा। कामना करती हूं कि आपको जीवन भर प्यार और हंसी मिलती रहे।

12 अक्तूबर, 1974 को असम में जन्मी महुआ मोइत्रा ने एक निवेश बैंकर के रूप में अपना करियर शुरू किया था। बाद में 2010 में महुआ ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गईं। उन्होंने 2019 में पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीतीं। महुआ 2024 में फिर से चुनी गईं।

पिनाकी मिश्रा का जन्म 23 अक्तूबर, 1959 को ओडिशा के पुरी में हुआ था। वह एक अनुभवी राजनीतिज्ञ और वरिष्ठ अधिवक्ता हैं। उन्होंने सेंट स्टीफंस कॉलेज से इतिहास में बीए (ऑनर्स) और दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि संकाय से एलएलबी की डिग्री भी प्राप्त की है। पिनाकी ने 1996 में पुरी लोकसभा सीट जीतकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ अपना राजनीतिक करियर शुरू किया। बाद में वे नवीन पटनायक की बीजू जनता दल में शामिल हो गए और 2009, 2014 और 2019 में जीत हासिल की। पिनाकी ने 1984 में संगीता मिश्रा से शादी की थी। दोनों को एक बेटा और एक बेटी है।

पिनाकी के पिता लोकनाथ मिश्रा कांग्रेस पार्टी के सदस्य के रूप में दो बार ओडिशा विधानसभा के लिए चुने गए। बाद में वे स्वतंत्र पार्टी में शामिल हो गए और इसके उपाध्यक्ष बने। 1977 में वे जनता पार्टी में शामिल हो गए। उन्हें लगातार तीन बार (1960 से 1978 तक) राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया। उन्होंने तीन पूर्वोत्तर राज्यों असम, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश (1991-1997) के राज्यपाल के रूप में कार्य किया। 27 मई 2009 को 87 वर्ष की आयु में भुवनेश्वर में उनका निधन हो गया।

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