कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बुधवार को स्पष्ट किया कि राज्य में जाति जनगणना कराने का फैसला उनकी सरकार का नहीं बल्कि पार्टी नेतृत्व का है। उन्होंने मीडिया से बातचीत में बताया कि “जाति जनगणना को लेकर कुछ शिकायतें मिली हैं। पिछली जाति जनगणना को 10 साल हो चुके हैं और अब वह पुरानी हो चुकी है, इसलिए जल्द ही नई जनगणना कराई जाएगी।”
इससे पहले 10 जून को कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा था कि कुछ समुदायों ने पिछली जाति जनगणना के आंकड़ों पर सवाल उठाए हैं, इसलिए यह प्रक्रिया दोबारा कराई जाएगी। उन्होंने बताया कि डेटा की सटीकता को लेकर उठे सवालों के कारण घर-घर जाकर और ऑनलाइन सर्वे किया जाएगा, और यह पूरी प्रक्रिया पारदर्शी ढंग से पूरी होगी।
शिवकुमार ने यह भी कहा कि 12 जून को होने वाली कैबिनेट बैठक में जाति जनगणना की योजना पर चर्चा होगी। उन्होंने कहा कि सरकार सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्ध है और पिछले दो महीनों से एससी और एसटी समुदाय का सर्वे किया जा रहा है। हालांकि, पूरी जाति जनगणना में समय लगेगा और इस पर अंतिम फैसला अगली कैबिनेट बैठक में होगा।
गौरतलब है कि साल 2015 में भी सिद्धारमैया की सरकार के दौरान जाति जनगणना कराई गई थी, लेकिन वोक्कालिगा और लिंगायत समुदाय के दबाव के चलते उसकी रिपोर्ट जारी नहीं की गई। उस रिपोर्ट के लीक होने के बाद दोनों समुदायों ने आरोप लगाया था कि उनकी आबादी को कम दिखाया गया है।