किसान और सरकार फिर आमने-सामने हैं. एक तरफ देश के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर किसानों से बातचीत के लिए सामने आने को कह रहे हैं, तो मोदी सरकार की एक दूसरी मंत्री ने किसानों को मवाली कह दिया है. विदेश राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी (Meenakshi Lekhi) ने 22 जुलाई को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कृषि कानूनों का विरोध करने वालों के लिए इस शब्द का इस्तेमाल किया. लेकिन जब बवाल बढ़ा तो उन्होंने बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाया और इसे बयान वापस लेने की बात कही. लेकिन शब्द तो जुबान से निकल चुके थे. इसे लेकर मीनाक्षी लेखी के इस्तीफे की मांग तेज हो गई है.
पहले मवाली कहा, बाद में बयान वापस ले लिया
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ लंबे समय से धरने पर बैठे किसानों को बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने किसान मानने से ही इनकार कर दिया था. मीडिया से बात करते हुए मीनाक्षी ने कहा कि
“पहली बात तो आप उनको किसान कहना बंद कीजिए क्योंकि वो किसान नहीं हैं. किसानों के पास इतना समय नहीं है कि वो जंतर-मंतर पर धरना देकर बैठे. वो अपने खेतों में काम कर रहा है. ये सिर्फ साजिशकर्ताओं द्वारा भड़काए हुए लोग हैं, जो किसानों के नाम पर ऐसी हरकतें कर रहे हैं. ये सिर्फ आढ़तियों द्वारा बैठाए हुए लोग हैं ताकि किसानों को कृषि कानून का फायदा न मिल सके.”
26 जनवरी को लाल किले पर बवाल के बावजूद अब जंतर मंतर पर किसान संसद की इजाजत दिए जाने के बारे में जब मीनाक्षी से सवाल किए गए तो वह भड़क गईं. उन्होंने कहा कि
“फिर आप उन लोगों को किसान बोल रहे हैं. मवाली हैं वो. 26 जनवरी को जो कुछ हुआ, वो शर्मनाक था और विपक्ष द्वारा ऐसे लोगों को बढ़ावा दिया गया.”
केंद्रीय मंत्री के इस बयान पर विवाद हो गया. इसके बाद मीनाक्षी लेखी ने अपनी सफाई पेश की. उन्होंने कहा कि उनके बयान को गलत समझा गया है. उन्होंने ट्वीट करके लिखा कि
“मेरे शब्दों को तोड़ा मरोड़ा गया है. लेकिन बावजूद इसके अगर इससे किसी को तकलीफ पहुंची है या किसी की भावनाओं को ठेस पहुंची है तो मैं अपने शब्द वापस लेती हूं.”
किसान नेता भड़के, अमरिंदर ने मांगा इस्तीफा
मीनाक्षी लेखी ने भले ही अपने शब्द वापस लेने की बात कही हो, लेकिन इस तीखी प्रतिक्रिया हुई है. किसान नेता राकेश टिकैत ने लेखी के इस बयान पर अफसोस जताया. उन्होंने कहा कि
“लेखी को ऐसा बयान नहीं देना चाहिए. कृषि कानूनों का प्रदर्शन करने वाले मवाली नहीं, किसान हैं. किसान के बारे में ऐसी बात नहीं कहनी चाहिए. किसान देश का अन्नदाता है.”
किसान नेता शिव कुमार कक्का ने भी लेखी के बयान पर विरोध जताया. उन्होंने कहा कि
“इस तरह का बयान 80 करोड़ किसानों का अपमान है. अगर हम मवाली हैं तो मीनाक्षी लेखी जी को हमारे उगाए अनाज को खाना बंद कर देना चाहिए. उन्हें खुद पर शर्म आनी चाहिए.”
पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी मीनाक्षी लेखी के बयान की निंदा की. उन्होंने लेखी के इस्तीफे की मांग कर डाली. उन्होंने कहा कि
“लेखी को किसानों को इस तरह से बदनाम करने का कोई हक नहीं है. बीजेपी किसानों से इस तरह से कैसे पेश आ सकती है?”
दिल्ली में 4 बार विधायक रहे वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मुकेश शर्मा ने भी लेखी से माफी मांगने को कहा. उन्होंने ट्वीट किया,
“शर्म करो! मीनाक्षी लेखी जी किसान मवाली नहीं बल्कि अन्नदाता है!! इसलिए माफी मांगो या इस्तीफा दो…”
भले ही मीनाक्षी लेखी ने अपने मवाली वाले बयान को वापस ले लिया हो लेकिन इसकी टाइमिंग काफी गलत रही है. मानसून सत्र में विपक्ष पहले से ही पेगासस जासूसी कांड और किसानों के मामलों को लेकर सरकार पर हमलावर है, इस बयान से संसद में हंगामा और बढ़ने की आशंका बन गई है.