श्रीराम लला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामनगरी में उत्सव व धार्मिक अनुष्ठानों की धूम रहेगी। सरयू तट पर 2121 कुंडीय श्रीराम महायज्ञ होगा। इसमें श्रीराम के वंशज कहे जाने वाले लगभग 10,000 रघुवंशी विभिन्न राज्यों से आकर आहुति डालेंगे। इस आयोजन को भव्य स्वरूप देने के लिए करीब एक माह से सरयू तट पर 60 एकड़ भूमि में हवन कुंड व टेंट सिटी बन रही है।
अगस्त, 2019 में श्रीराम मंदिर मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में यह प्रश्र उभरा कि श्रीराम के वंशज कहां हैं? उस समय जयपुर राज परिवार की पूर्व राजकुमारी दीया कुमारी समेत कई पक्षों ने श्रीराम के पुत्र कुश व लव तक वंशावली जोड़कर स्वयं के राम के वंशज होने का दावा किया। यह मामला सार्वजनिक होने पर रघुवंशी समाज से जुड़े मध्य प्रदेश के कनक बिहारी दास ने अयोध्या में श्रीराम के वंशजों को एकजुट कराने के मकसद से 9009 कुंडीय महायज्ञ कराने का ऐलान किया। मणिराम दास छावनी के महंत नृत्यगोपाल दास ने उन्हें यज्ञ सम्राट की उपाधि से भी नवाजा था। यह संकल्प देश के सात राज्यों में प्रसारित हुआ तो इसी बीच वह गोलोक सिधार गए। अब इस संकल्प को पूरा करने के लिए उनके शिष्यों ने बीड़ा उठाया है।
मध्य प्रदेश के अखंड रघुवंशी समाज कल्याण महापरिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष हरिशंकर सिंह रघुवंशी ने बताया कि अभी 2121 कुंडीय महायज्ञ सरयू तट पर 10 से 18 फरवरी तक होगी। इसमें संगठन के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, बिहार व हिमाचल प्रदेश में फैले रघुवंशी समाज के लोग शामिल होंगे। नौ यजमानों का शुद्धीकरण होगा। यज्ञ कराने के लिए बनारस से एक प्रधान आचार्य व 1,000 सहायक आचार्यों को आमंत्रित किया गया है। इसी परिसर में बने टेंट सिटी में लोग निवास करेंगे। महायज्ञ में देश के संत-महंत व राजनीतिक लोग भी शामिल होंगे।
महायज्ञ में शामिल होंगे नेपाल के 21 हजार पंडित
सरयू तट पर 14 से 25 जनवरी तक श्रीरामनाम महायज्ञ का भव्य आयोजन होने जा रहा है। यह वृहद अनुष्ठान संत आत्मानंद दास महात्यागी नेपाली बाबा के संयोजन में हो रहा है। इसके लिए 1008 नर्मदेश्वर शिवलिंग की स्थापना की जाएगी इसके लिए 1008 कुटी भी बनाई गई है। यहां 11 मंजिल का यज्ञ मंडप बनाया गया है, इसमें 100 कुंड है। यज्ञ में नेपाल के 21 हजार पंडित शामिल होंगे। 17 से रामायण के 24 हजार श्लोकों से हवन शुरू होगा,जो 25 जनवरी तक चलेगा। नेपाली बाबा ने बताया कि हर दिन 50 हजार श्रद्धालुओं के रुकने का इंतजाम किया जा रहा है। इसके साथ ही हर दिन करीब एक लाख श्रद्धालु यहां भोजन करेंगे।
जलेसर से अयोध्या पहुंचा 2400 किलो वजनी घंटा
घुंघरु की नगरी एटा के जलेसर में निर्मित 2400 किलो वजनी घंटा मंगलवार को अयोध्या पहुंचा। घंटे को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को समर्पित किया गया है। यह घंटा नवनिर्मित राममंदिर में लगाया जाएगा। सावित्री ट्रेडर्स के मालिक आदित्य मित्तल व प्रशांत मित्तल की ओर से बनवाए गए घंटे की लागत 25 लाख रुपये है। विशेष रथ पर घंटा मंगलवार की देर शाम अयोध्या पहुंचा है। घंटा अष्टधातु का है, जिसमें पीतल, कांस्य, तांबा, एल्मूनियम, लोहा, स्वर्ण, चांदी और जस्ता शामिल है। 2400 किलो का घंटा बनाने में एक दिन लगे। इस काम में 70 श्रमिक लगाए गए थे। रास्ते में जगह-जगह रथयात्रा पर पुष्पवर्षा की गई, हजारों लोगों ने रास्ते में इसका दर्शन किया। वहीं बंगलुरू से पांच फीट की एक अगरबत्ती व हवन सामग्री भी अयोध्या पहुंची है।