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पेगासस मामले पर राहुल गांधी के हमले को ख़ारिज कर अमित शाह ने मामले को अंतर्राष्ट्रीय साजिश बताया

इसराइल में विकसित पेगासस स्पाईवेयर के जरिए चर्चित लोगों की कथित फ़ोन टैपिंग को लेकर देश में राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज़ हो गया है.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी के फ़ोन की कथित तौर पर जासूसी किए जाने की बात सामने आने पर कांग्रेस ने सरकार पर तीखा हमला किया.

कांग्रेस ने सोमवार शाम एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और ‘गृह मंत्री अमित शाह को बर्खास्त करने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका की जांच कराने’ की मांग की.

वहीं, केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस के आरोपों को ‘शर्मनाक, मर्यादाविहीन’ और कथित टैपिंग मामले को ‘अंतरराष्ट्रीय साजिश’ बताते हुए ख़ारिज किया.

गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार शाम एक बयान जारी करके आरोपों को ‘साजिश’ बताया और कहा, “विघटनकारी और अवरोधक शक्तियां अपने षड्यंत्रों से भारत की विकास यात्रा को नहीं रोक पायेंगी.”

इसके पहले पूर्व आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कांग्रेस और जासूसी से जुड़े आरोपों को ‘शर्मनाक’ बताते हुए ख़ारिज किया.

केंद्रीय दूरसंचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में सरकार का पक्ष रखा.

कथित फ़ोन टैपिंग को लेकर रविवार को ‘वॉशिंगटन पोस्ट’ और भारत समेत दुनिया के दूसरे मीडिया संस्थानों ने रिपोर्ट छापी थीं जिनमें दावा किया गया था कि दुनिया भर में सैकड़ों पत्रकारों और दूसरे चर्चित लोगों के फ़ोन टैप किए गए हैं. इनमें भारत के कई लोग शामिल हैं.

कांग्रेस ने क्या कहा?

कथित फ़ोन टैपिंग मामले में सोमवार को कुछ नए नाम सामने आए. सोमवार को आई रिपोर्ट को लेकर राज्यसभा में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी और पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की.

कांग्रेस नेताओं ने कहा, ” आज जो जानकारी सामने आई है उसके मुताबिक कांग्रेस नेता राहुल गांधी और उनके स्टाफ़ के सदस्यों के टेलीफ़ोन पर हैक किए गए थे. चुनाव आयुक्त अशोक लवासा का फ़ोन ग़ैरक़ानूनी निगरानी और जासूसी के लिए चुना गया था. ऐसा लगता है कि एडीआर के संस्थापक जगदीप छोकर को भी निशाना बनाया गया.”

कांग्रेस नेताओं ने रविवार को जिन मीडिया संस्थानों और उनके पत्रकारों के नाम सामने आए थे, उनका भी ज़िक्र किया.

मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “लोकतंत्र में विरोधी पार्टी के नेताओं की जासूसी करना, खुद के मंत्रियों की भी जासूसी कर रहे हैं, इसका सबूत मिला है. हमारे राहुल गांधी की भी जासूसी किया है. इसकी जांच होने के पहले ख़ुद अमित शाह साहब को रिजाइन करना चाहिए. मोदी साहब की इन्क्वायरी होनी चाहिए. अगर लोकतंत्र के उसूलों से चलना चाहते हो तो आप इस जगह रहने के काबिल नहीं हैं.”

कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया, “इसके लिए गृह मंत्री अमित शाह के सिवाए कोई ज़िम्मेदार नहीं हो सकता. हां, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सहमति और सम्मति के बिना ये नहीं हो सकता.”

कांग्रेस नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी और गृह मंत्री की भूमिका की जांच कराने की मांग की और छह सवाल पूछे. कांग्रेस नेताओं ने प्रधानमंत्री मोदी से पूछा, ” देश में आंतरिक सुरक्षा के इनचार्ज अमित शाह को बर्खास्त क्यों नहीं किया जाना चाहिए.”

‘क्रोनोलोजी समझिए’

गृह मंत्री अमित शाह ने इस मामले में बयान जारी करते हुए इसे ‘लोकतंत्र को बदनाम करने का षडयंत्र’ बताया.

अमित शाह ने कहा, “इस तथाकथित रिपोर्ट के लीक होने का समय और फिर संसद में ये व्यवधान…आप क्रोनोलोजी समझिये! यह भारत के विकास में विघ्न डालने वालों की भारत के विकास के अवरोधकों के लिए एक रिपोर्ट है.”

इसके पहले पूर्व आईटी मंत्री और बीजेपी के सीनियर नेता रविशंकर प्रसाद ने आरोपों को ‘अंतरराष्ट्रीय साजिश’ बताया. उन्होंने कांग्रेस के शासनकाल मे हुईं कथित फोन टैपिंग का ज़िक्र भी किया.

रविशंकर प्रसाद ने कहा, “ये पेगासस की कहानी मानसून सत्र के पहले ही क्यों शुरू होती है. क्या कुछ लोग योजनाबद्ध तरीके से लगे हुए थे कि ये कहानी मानसून सत्र के पहले ही फ़ोडनी है. ताकि देश में एक नया माहौल बनाया जाए. “

उन्होंने सवाल किया, “भारत की राजनीति में कुछ लोग सुपारी एजेंट हैं क्या? क्या कोई अंतरराष्ट्रीय साजिश होती है तो उसके एजेंट बन जाते हैं? “

रविशंकर प्रसाद, “इस पूरी कहानी में एक सबूत ऐसा नहीं आया है जो भारत सरकार को इससे लिंक करता है.या बीजेपी को इससे लिंक करता है. जिन लोगों ने इस स्टोरी को ब्रेक किया उन्होंने स्वयं कहा है कि फ़ोन नंबर का डाटा बेस में होना इस बात का संकेत नहीं है कि इसे हैक किया गया. एनएसओ ने साफ़ कहा है कि हमारे अधिकांश क्लाइंट वेस्टर्न कंट्री हैं तो भारत को टारगेट क्यों किया जा रहा है.”

संसद में सरकार का जवाब

लोकसभा में वैष्णव ने कहा, “एक वेब पोर्टल पर कल रात एक अति संवेदनशील रिपोर्ट प्रकाशित की गई जिसमें बढ़ा-चढ़ाकर कई आरोप लगाए गए. ये रिपोर्ट संसद के मॉनसून सत्र के एक दिन पहले प्रकाशित हुई. ये संयोग नहीं हो सकता.”

अश्विनी वैष्णव ने कहा, “इससे पहले भी वॉट्सऐप पर पेगासस के इस्तेमाल को लेकर मिलते-जुलते दावे किए गए हैं. वो बेबुनियाद थे और सभी पार्टियों ने उनका खंडन किया था. 18 जुलाई को प्रकाशित रिपोर्ट भी भारतीय लोकतंत्र और इसकी स्थापित संस्थाओं को बदनाम करने की कोशिश प्रतीत होती है,”

उधर, पेगासस नाम के जिस स्पाई वेयर से फ़ोन हैक करने की बात सामने आ रही है उसे तैयार करने वाली कंपनी एनएसओ ने तमाम आरोपों से इनकार किया है.

ये कंपनी दावा करती रही है कि वो इस प्रोग्राम को केवल मान्यता प्राप्त सरकारी एजेंसियों को बेचती है और इसका उद्देश्य “आतंकवाद और अपराध के खिलाफ लड़ना” है

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