ताइवान ने कहा है कि सोमवार को उसके हवाई क्षेत्र में रिकॉर्ड संख्या में चीन के सैनिक जेट विमानों ने उड़ान भरी.
ताइवान के रक्षा मंत्रालय का कहना है कि सोमवार को एयर डिफ़ेंस आइडेंटिफ़िकेशन ज़ोन में 25 विमानों ने प्रवेश किया, जिनमें लड़ाकू विमान समेत परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम विमान भी थे.
पिछले एक साल में ये चीन की ओर से सबसे बड़ा अतिक्रमण माना जा रहा है. अमेरिका ने हाल में ही चीन के लगातार बढ़ते आक्रामक रुख़ को लेकर चेतावनी दी थी.
चीन ताइवान को वन चाइना पॉलिसी के तहत अपना हिस्सा मानता है, जबकि ताइवान अपने को एक संप्रभु राष्ट्र मानता है.
ताइवान का कहना है कि सोमवार को चीनी विमानों की घुसपैठ में 18 लड़ाकू जेट, चार बमवर्षक विमान, जो परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम हैं, दो एंटी सबमरीन विमान और समय से पहले चेतावनी देने वाला एक विमान शामिल था.
चेतावनी
ताइवान के रक्षा मंत्रालय का कहना है कि चीनी विमानों को चेतावनी देने के लिए लड़ाकू विमानों को भेजा गया, जबकि उनकी निगरानी के लिए मिसाइल सिस्टम तैनात किए गए थे.
चीन ने हाल के महीनों में दक्षिणी चीन सागर में दक्षिणी ताइवान और ताइवान नियंत्रित प्रतास द्वीप के बीच अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में अपने विमानों को भेजा है.
सोमवार को चीन के विमानों ने एयर डिफ़ेंस आइडेंटिफ़िकेशन ज़ोन से लेकर प्रतास द्वीप के निकट दक्षिण पश्चिम ताइवान तक उड़ान भरी.
ये ताज़ा घटनाक्रम ऐसे समय हुआ है, जब एक दिन पहले ही अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने कहा था कि अमेरिका ताइवान के प्रति चीन की लगातार बढ़ती आक्रामक कार्रवाई को लेकर चिंतित है.
अमेरिका क्यों है चिंतित?
एनबीसी को दिए इंटरव्यू में उन्होंने इस बात को दोहराया कि ताइवान को लेकर अमेरिका की क़ानूनी प्रतिबद्धता है. उन्होंने कहा कि अमेरिका ये सुनिश्चित करेगा कि ताइवान के पास अपनी सुरक्षा करने की क्षमता हो. उन्होंने ये भी कहा कि अगर किसी ने बलपूर्वक यथास्थिति को बदलने की कोशिश की, तो ये उसकी गंभीर ग़लती होगी.
जानकारों का कहना है कि चीन इस बात को लेकर चिंतित होता जा रहा है कि ताइवान की सरकार अपनी आज़ादी की औपचारिक घोषणा की ओर बढ़ रही है. चीन ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन को ऐसे क़दम को लेकर चेतावनी देना चाहता है.
हालाँकि राष्ट्रपति साई ने बार बार ये कहा है कि ताइवान पहले से ही एक स्वतंत्र देश है. उनका कहना है कि इसके लिए किसी औपचारिक घोषणा की आवश्यकता नहीं.
ताइवान का अपना संविधान है, अपनी सेना है और लोकतांत्रिक तरीक़े से चुने गए नेता हैं.
हालाँकि चीन ने ताइवान को अपने में मिलाने के लिए बल प्रयोग की संभावना से इनकार नहीं किया है.
चीन और ताइवान: क्या हैं मूल बातें
1949 में चीन में गृह युद्ध की समाप्ति के बाद से चीन और ताइवान में अलग-अलग सरकारें रही हैं.
चीन ने लंबे समय से ताइवान की अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों को कम करने की कोशिश की है. दोनों ने प्रशांत क्षेत्र में प्रभाव के लिए संघर्ष किया है.
हाल के वर्षों में तनाव बढ़ा है और चीन ने ताइवान को अपने कब्ज़े में लेने के लिए बल प्रयोग से इनकार नहीं किया है.
हालाँकि ताइवान को कुछ ही देशों ने आधिकारिक रूप से मान्यता दी है, लेकिन इसकी लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार के कई देशों के साथ मज़बूत व्यावसायिक और अनौपचारिक रिश्ते हैं.
कई देशों की तरह अमेरिका का ताइवान के साथ कोई कूटनीतिक रिश्ता नहीं है, लेकिन अमेरिका का एक क़ानून ये अधिकार देता है कि अमेरिका ताइवान को अपनी सुरक्षा करने में मदद करे.