कोरोना वैक्सीन को लेकर एक नया अपडेट है. वो ये कि कोरोना वैक्सीन के दोनों टीकों को लेने के बाद बूस्टर डोज़ लगाने की जरूरत को महसूस किया जा रहा है. सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के सायरस पूनावाला के बाद NIV(National Institute of Virology) तक ने भी आनेवाले समय में इसकी जरूरत को महसूस किया है. WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) ने हालांकि इसे लेकर थोड़ी अलग राय रखी है. उनका मानना है कि फिलहाल मौजूदा डेटा बताते हैं कि बूस्टर डोज़ की जरूरत नहीं है.
WHO की राय
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बुधवार को कहा कि कोरोना के आंकड़े बता रहे हैं कि फिलहाल बूस्टर डोज़ की जरूरत नहीं है. WHO आगे ये भी कहता है कि ऊंची आयवाले देशों को टॉप-अप डोज़ लेने से पहले दुनिया के जरूरत मंद लोगों को कोरोना के टीके पूरी तरह से लेने के लिए इंतेजार करना चाहिए. WHO का ये बयान अमेरिकी सरकार के उस बयान के ठीक बाद आया है जिसमें उसने अमेरिका में बूस्टर डोज़ शुरू करने की मुहिम चलाने के लिए कहा है.
पूनावाला ने कहा बूस्टर डोज़ जरूरी
भारत में बूस्टर डोज़ की जरूरत को सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के सायरस पूनावाला ने महसूस कराया. उन्होंने हालही में कहा था कि उन्होंने कोरोना वैक्सीन का बूस्टर डोज़ लिया है. कोरोना वैक्सीन के दो टीके लेने के 6 महीने बाद ये बूस्टर डोज़ सभी को लेना चाहिए. उनके यहां काम करनेवाले कर्मचारियों ने ये बूस्टर डोज़ ले ली है. उनके यहां ऐसे तकरीबन 7 से 8 हजार कर्मचारी हवैं जिन्होंने बूस्टर डोज़ ले ली है.
अमेरिका में 20 सितंबर से होगा शुरू
बता दें कि अमेरिका में बड़े पैमाने पर कोरोना के डेल्टा वेरियंट के हमले के बीच कोरोना वैक्सीन के बूस्टर डोज़ लेने की पहल की जा रही है. अमेरिका में बूस्टर डोज़ 20 सितंबर से मिलनी शुरू भी हो जाएगी. फिलहाल अमेरिका में डेल्टा वेरियंट ने दहशत फैला रखी है. बड़े स्तर पर सरकारी और औद्योगिक इकाइयों ने कामकाज बंद कर रखा है. लिहाजा बूस्टर डोज की जरूरत वहां महसूस की जा रही है.
भविष्य में होगी बूस्टर डोज की सिफारिश
इन दोनों स्थितियों को देखते हुए NIV (National Institute of Virology) की निदेशक डॉ. प्रिया अब्राहम ने भी मीडिया से कहा कि आनेवाले समय में भारत में भी बूस्टर डोज़ लगाने के लिए रिकमंड किया जाएगा. हालांकि सरकार इस मसले का अध्ययन कर रही है. विज्ञान और तकनीकी विभाग के OTT चैनल पर इंटरव्यू के दौरान डॉ. अब्राहम ने कहा कि, ‘बूस्टर खुराक पर अध्ययन विदेशों में चल रहा है और बूस्टर खुराक के लिए कम से कम सात अलग-अलग टीकों का परीक्षण किया गया है. अब, WHO ने इस पर तब तक रोक दिया है जब तक कि ज्यादा तर देशों में टीकाकरण पूरा नहीं हो जाता. ऐसा इसलिए, क्योंकि उच्च आय और निम्न आय वाले देशों के बीच एक खतरनाक वैक्सीन अंतर है. लेकिन, ये तय है कि भविष्य में बूस्टर के लिए सिफारिशें जरूर आएंगी’