Monday, November 17, 2025
11.1 C
Delhi
Monday, November 17, 2025
- Advertisement -corhaz 3

कांग्रेस की कोशिशों के बाद भी CM गेहलोत की नियुक्तियों पर एक बार फिर छिड़ा घमासान |

राजस्थान में पार्टी में सुलह कराने की कांग्रेस हाईकमान की कोशिशें एक बार फिर से फेल होती दिख रही हैं। अशोक गहलोत सरकार में राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर घमासान छिड़ गया है। सोमवार रात को राज्य सरकार की ओर से 74 नेताओं के नामों की घोषणा की गई, जिन्हें राजनीतिक नियुक्तियां दी गई हैं। लेकिन इनमें से सचिन पायलट के करीबी दो सीनियर नेताओं ने पद लेने से ही इनकार कर दिया। दूसरी लिस्ट में विधायक सुरेश मोदी का नाम था, जिन्हें ट्रेड वेलफेयर बोर्ड का चेयरमैन बनाने का फैसला लिया गया है। इसके अलावा विधायक जीआर खटाना को बिल्डिंग ऐंड कंस्ट्रक्शन कमिटी का चेयरमैन बनाया गया है। 

इसके अलावा कांग्रेस की सीनियर नेता अर्चना शर्मा को राजस्थान सोशल वेलफेयर बोर्ड का चेयरपर्सन बनाया गया है। खटाना और सुरेश मोदी दोनों को ही सचिन पायलट के करीबी नेताओं में शुमार किया जाता है। लेकिन इन दोनों ही नेताओं ने पद लेने से इनकार कर दिया है। राज्य सरकार की ओर से अब तक कुल 52 विधायकों को अलग-अलग बोर्ड्स में चेयरपर्सन बनाया जा चुका है। कई लोगों को निगमों और आयोगों में भी जगह दी गई है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुशील असोपा को भूमि विकास बोर्ड का सदस्य बनाया गया था। लेकिन उन्होंने सोशल मीडिया पर इस पद को न लेने की जानकारी दी है। 

नेताओं ने सोशल मीडिया पर बताकर ठुकराए पद

उन्होंने ट्वीट किया, ‘मैं राज्य सरकार की ओर से दी गई राजनीतिक नियुक्ति को खारिज करता हूं। यह जिम्मेदारी मेरे सलाह लिए बिना ही दी गई थी। मैंने किसी पद के लिए कांग्रेस जॉइन नहीं की थी। मैं बिना किसी स्वार्थ के पूरी जिंदगी काम करता रहूंगा।’ सचिन पायलट के एक और भरोसेमंद राजेश चौधरी ने भी बिना कोई कारण बताए पद स्वीकारने से मना कर दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘मैं पार्टी हाईकमान के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्ता हूं, जिसने मुझे यह मौका दिया। लेकिन मैं इस जिम्मेदारी को नहीं ले सकता। मैं पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता के तौर पर काम करता रहूंगा और एक वर्कर के तौर पर हमेशा उपलब्ध रहूंगा।’ 

पार्टी नेता ने बताया, क्यों नाराज हैं पायलट खेमे के लोग

सचिन पायलट खेमे के किसी भी नेता ने खुलकर नाराजगी जाहिर नहीं की है। लेकिन पूरे मामले की जानकारी रखने वाले एक पार्टी वर्कर ने बताया कि कुछ लोग बोर्ड के चेयरपर्सन जैसी जिम्मेदारी चाहते थे, लेकिन उन्हें सदस्य ही बनाया गया। उन्होंने कहा कि एक बोर्ड में पूर्व मेयर को भी सदस्य ही बनाया गया और एक सामान्य वर्कर को भी। ऐसे में कई नेता असंतुष्ट थे और उन्होंने पद संभालने से ही इनकार कर दिया। एक सीनियर विधायक ने नाराजगी को लेकर कहा कि हर कोई अध्यक्ष ही बनना चाहता है, लेकिन यह तो संभव नहीं है। 

More articles

- Advertisement -corhaz 300

Latest article

Trending