शिवसेना के लोकसभा सांसद राहुल शेवाले ने पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के लिए उनका समर्थन मांगा है.
शेवाले ने पत्र में लिखा है कि पार्टी के सभी सांसदों को मुर्मू का समर्थन करने का आदेश दिया जाए.
उधर प्रवर्तन निदेशालय के रडार पर रही शिवसेना सांसद भावना गवली ने उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर कहा है, “एकनाथ शिंदे और उनके साथ जाने वाले विधायक शिवसैनिक हैं. उनके ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई न हो.”
शिवसेना एनडीए का हिस्सा नहीं है. वह कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए की सदस्य भी नहीं थी.
हालांकि बीजेपी विरोधी मोर्चे पर शिवसेना आगे चल रही है. एक तरफ उद्धव ठाकरे कह रहे हैं कि बीजेपी उनकी पार्टी को ख़त्म करना चाहती है, तो दूसरी तरफ़ शिवसेना के सांसद राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए की उम्मीदवार का साथ देना चाहते हैं.
राजनीतिक गलियारों में चर्चा चल रही है कि शिंदे गुट के विद्रोह के बाद शिवसेना के सांसद भी बंट जाएंगे.
तो उद्धव ठाकरे के साथ कितने सांसद हैं? आइए हम यही जानने की कोशिश करते हैं-
शिवसेना के लोकसभा सांसद – कौन किसके साथ?
लोकसभा में शिवसेना के 18 सांसद हैं. साल 2019 में बीजेपी से अलग होने के बाद लोकसभा में शिवसेना के सांसद बीजेपी का विरोध करते रहे हैं.
लेकिन अब ऐसी चर्चा है कि पार्टी के 10 से 12 लोकसभा सांसद एकनाथ शिंदे गुट के साथ हैं. एकनाथ शिंदे की बग़ावत के बाद कुछ सांसदों ने उद्धव ठाकरे के सामने बीजेपी से हाथ मिलाने की इच्छा जताई है, ऐसी जानकारी सामने आ रही है.
हालांकि कोई भी शिवसेना नेता या सांसद इस बारे में बोलने को तैयार नहीं है.
शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने कहा, “उद्धव ठाकरे ने सांसदों की भावनाओं को जाना है. इस पर विस्तृत चर्चा हुई है. सांसद बंटेंगे नहीं.”
फ़िलहाल शिवसेना के सांसद, पार्टी विधायकों की तर्ज पर बाग़ी नहीं हुए हैं.
अभी तक सिर्फ़ शिवसेना के सांसद राहुल शेवाले ने, पार्टी से राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए के उम्मीदवार के समर्थन की मांग की है. ये मांग पार्टी के घोषित रुख़ से अलग है.
उद्धव ठाकरे को संबोधित पत्र में शेवाले ने लिखा है, “द्रौपदी मुर्मू आदिवासी हैं. सामाजिक कार्यों में उनका योगदान बहुत बड़ा है. इसलिए शिवसेना के सभी सांसदों को उनका समर्थन करने का आदेश दिया जाना चाहिए.”
राष्ट्रपति चुनाव 18 जुलाई को होने हैं. एनडीए की तरफ़ से द्रौपदी मुर्मू और विपक्ष की ओर से यशवंत सिन्हा मैदान में हैं.
राहुल शेवाले के पत्र पर टिप्पणी करते हुए, शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने कहा, “सांसद पार्टी प्रमुख को अपने विचार बता सकते हैं. उन्होंने अपने विचार रखे हैं. पार्टी प्रमुख इस पर फ़ैसला करेंगे.”
नाम न छापने की शर्त पर एक सांसद ने बीबीसी मराठी को बताया, “नए मुख्यमंत्री को उन सांसदों के नामों की घोषणा करनी चाहिए जो उनके साथ हैं.”
इस वर्ष अप्रैल में मीडिया से बात करते हुए बीजेपी विधायक प्रसाद लाड ने दावा किया था कि शिवसेना के 14 सांसद बीजेपी के संपर्क में हैं.
उद्धव ठाकरे की बैठक से ग़ायब सांसद
एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के विधायकों के समूह में फूट पड़ने के बाद उद्धव ठाकरे ने सांसदों की बैठक बुलाई थी.
बैठक में कल्याण-डोंबिवली के सांसद श्रीकांत शिंदे और यवतमाल-वाशिम की सांसद भावना गवली मौजूद नहीं थीं.
श्रीकांत शिंदे महाराष्ट्र के मौजूदा मख्यमंत्री और शिवसेना के बाग़ी धड़े के लीडर एकनाथ शिंदे के पुत्र हैं.
जब शिवसेना ने एकनाथ शिंदे के ख़िलाफ़ आक्रामक अभियान शुरू किया था, तब श्रीकांत अपने समर्थकों के साथ सड़क पर उतर आए थे.
पार्टी की दूसरी सांसद भावना गवली प्रवर्तन निदेशालय के निशाने पर रही हैं. उनसे मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले को लेकर पूछताछ भी हुई है.
उद्धव ठाकरे को संबोधित अपने ख़त में गवली ने लिखा है, “ये शिवसैनिक हिंदुत्व के लिए लड़ रहे हैं. उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई ना की जाए.”
एकनाथ शिंदे के बेहद करीबी ठाणे के सांसद राजन विचारे भी बैठक में मौजूद नहीं थे. कहा जा रहा है कि वे मुंबई में न होने के कारण बैठक में नहीं आए थे.
ग़ैर-हाज़िरी के बारे में बीबीसी मराठी ने राजन विचारे से बात करने की कोशिश की लेकिन संपर्क नहीं हो सका.
ठाणे में एक स्थानीय पत्रकार ने कहा, “पिछले कुछ दिनों से राजन विचारे से संपर्क नहीं हो सका है. उनसे संपर्क नहीं किया जा सकता. उन्होंने शिंदे के विद्रोह के बारे में मीडिया को कुछ विशेष नहीं कहा है. हालांकि विचारे शिंदे के बहुत करीबी हैं और उन्हीं के गुट में रहेंगे.”
राजन विचारे को लेकर मीडिया में अलग-अलग चर्चाएं चल ही रहीं थी की उद्धव ठाकरे ने एक निर्णय लेकर सबको चौंका दिया है.
शिवसेना पार्टी के लोकसभा व्हिप भावना गवली को हटाकर राजन विचारे को नियुक्त कर दिया गया है. इस निर्णय के क्या मायने हैं, इसके बारे अब चर्चाएं शुरू हो गई हैं.
शिवसेना के सांसद कौन हैं? और उनकी भूमिका क्या है?
कहा जाता है कि हिंदुत्व और बीजेपी के साथ जाने के मुद्दे पर शिवसेना सांसद भी एकनाथ शिंदे के साथ हैं. इसलिए हमने शिवसेना सांसदों से उनकी भूमिका जानने की कोशिश की.
अरविंद सावंत
अरविंद सावंत पार्टी के दक्षिण मुंबई से सांसद हैं और पार्टी के प्रवक्ता भी. सावंत नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में मंत्री रह चुके हैं. जब शिवसेना और बीजेपी का गठबंधन टूटा था तब उन्होंने पद से इस्तीफ़ा दे दिया था.
सावंत को उद्धव ठाकरे का क़रीबी और कट्टर शिवसैनिक माना जाता है.
उन्होंने कहा, ‘मैं उद्धव ठाकरे के साथ हूं और रहूँगा. पार्टी के नेता राष्ट्रपति चुनाव के बारे फैसला करेंगे.”
ओमराजे निंबालकर
ओमराज निंबालकर उस्मानाबाद से शिवसेना के सांसद हैं. वह उद्धव ठाकरे की बैठक में मौजूद थे.
बीबीसी मराठी से बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘मैं उद्धव ठाकरे के साथ हूँ. पार्टी प्रमुख जैसा कहेंगे वैसा ही करेंगे.”
विनायक राऊत
विनायक राऊत शिवसेना के वरिष्ठ नेता और रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग से सांसद हैं.
रत्नागिरी में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, ”जो विधायक बिक गये, उनके लिये हम चिंतित नहीं हैं. हम एक बार फिर से शिवसेना को मजबूती के साथ खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं.”
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यदि मध्यावधि चुनाव होते हैं, तो शिवसेना के 100 विधायक चुने जाएंगे.
एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद 10 जुलाई को रत्नागिरी में शिवसेना की रैली होगी. इस रैली में एकनाथ शिंदे गुट के नेता उदय सामंत को नही आना चाहिए, ऐसी सलाह भी विनायक राऊत ने दी.
गजानन कीर्तिकार
मुंबई के सांसद गजानन कीर्तिकर कई सालों से शिवसेना से जुड़े हुए हैं. उन्हें एक कट्टर शिवसैनिक के रूप में जाना जाता है.
बीबीसी से बात करते हुए उन्होंने कहा, “उद्धव ठाकरे के साथ सांसदों की तीन बैठकें हो चुकी हैं. श्रीकांत शिंदे और भावना गवली अनुपस्थित थे. बाकी सभी सांसद मौजूद थे. सांसद बंटेंगे नहीं.”
वह आगे कहते हैं, ”शिवसेना में यह विद्रोह पिछले दो विद्रोहों से भी बड़ा है. लेकिन बालासाहेब ठाकरे के आशीर्वाद से शिवसेना एक बार फिर उठ खड़ी होगी.”
लेकिन राष्ट्रपति चुनाव को लेकर कीर्तिकर की भूमिका राहुल शेवाले जैसी ही है.
वे कहते हैं, “द्रौपदी मुर्मू एक आदिवासी हैं. शिवसेना ने प्रतिभा पाटिल और प्रणब मुखर्जी के चुनाव में भी अलग भूमिका निभाई थी. इसलिए हमें इस बार मुर्मू का समर्थन करना चाहिए. इस पर अंतिम फ़ैसला पार्टी के नेता करेंगे.”
धैर्यशील माने
शिंदे समूह के विद्रोह के बाद धैर्यशील माने ने उद्धव ठाकरे से मुलाकात की थी. वह उद्धव ठाकरे के साथ बैठक में भी मौजूद थे.
शिंदे विद्रोह के बारे में बीबीसी से बात करते हुए उन्होंने कहा, “अभी इस पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा. हम पार्टी को एकजुट रखने के लिए काम कर रहे हैं.”
श्रीरंग बारने
शिंदे समूह का विद्रोह शुरू होने के बाद से ही शिवसेना सांसद श्रीरंग बारने उद्धव ठाकरे के संपर्क में हैं.
वह मुंबई में बैठकों में शामिल होते रहे हैं. उन्होंने बीबीसी को बताया, “मैं शिवसेना के साथ हूं,”
शिंदे गुट के विद्रोह के बाद शिवसेना ने रैलियां करना शुरू कर दिया था. वह 25 जून को रायगढ़ जिले के शिवसैनिकों की एक सभा में नवी मुंबई के खारघर में मौजूद थे.
मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा था, ”कुछ लोगों ने शिवसेना के अपहरण का काम किया है. भविष्य में गलती करने वालों के लिए कोई माफी नहीं है.”
हेमंत गोडसे
हमने नासिक के सांसद हेमंत गोडसे से उनकी राय जानने की कोशिश की.
उन्होंने कहा, “हम सब उद्धव ठाकरे के साथ हैं. हमने उद्धव ठाकरे से चर्चा की है. उन्होंने हमें कुछ आदेश दिए हैं. लेकिन मैं इसके बारे में ज्यादा नहीं कहूंगा.”
एकनाथ शिंदे के विद्रोह के बाद उद्धव ठाकरे द्वारा बुलाई गई बैठक में हेमंत गोडसे भी मौजूद थे.
राजेंद्र गावित
बीबीसी मराठी शिवसेना के पालघर सांसद राजेंद्र गावित से संपर्क नहीं कर पाई.
हालांकि, पालघर के स्थानीय पत्रकारों ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “राजेंद्र गावित अभी भी दुविधा में हैं. उन्होंने तय नहीं किया है कि आगे क्या करना है.”
हेमंत पाटिल
शिवसेना के हिंगोली से सांसद हेमंत पाटिल ने जवाब दिया कि वह शिवसेना के साथ हैं.
उन्होंने कहा, “मैं उद्धव ठाकरे के साथ हूं.”
अस्वस्थ होने के कारण उन्होंने ज्यादा बात करने से मना कर दिया.
लेकिन 24 जून को लोकमत अख़बार से बात करते हुए उन्होंने कहा था, ”शिवसेना ने मेरे जैसे साधारण कार्यकर्ता को ताकत दी है. इसलिए मैं पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे के साथ कभी धोखा नहीं कर सकता.”
हेमंत पाटिल भी महाविकास अघाड़ी से नाखुश थे. उन्होंने समय-समय पर मीडिया के सामने अपनी नाराज़गी जाहिर की थी.
संजय मांडलिक
कोल्हापुर के सांसद संजय मांडलिक 24 जुलाई को बागी विधायकों के खिलाफ मोर्चा संभाल रहे थे.
मांडलिक ने कहा था कि कोल्हापुर के शिवसैनिकों की यही इच्छा है. उन्होंने आगे कहा, “कोल्हापुर के शिवसैनिक बालासाहेब ठाकरे और उद्धव ठाकरे के अनुयायी हैं.”
संजय जाधवी
बीबीसी मराठी शिवसेना के परभणी सांसद संजय जाधव से संपर्क नहीं कर पाई.
लेकिन कुछ दिन पहले लोकमत अख़बार से बात करते हुए उन्होंने कहा, “मैं जीवन भर शिवसेना के साथ रहूंगा. मेरे दिमाग में कोई और विचार नहीं आएगा.”
संजय जाधव ने पहले यह भावना व्यक्त की थी कि वह महाविकास मोर्चा पीड़ित हैं.
शिरडी के सांसद सदाशिव लोखंडे, यवतमाल की भावना गवली, बुलडाना के प्रतापराव जाधव से संपर्क नहीं हो सका.
क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक?
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक दीपक भातुसे कहते हैं, ”शिवसेना के सांसद शिंदे के साथ जाने का तुरंत फैसला नहीं करेंगे. वे एकनाथ शिंदे के ठिकाने के आधार पर फैसला करेंगे.”
शिवसेना सांसद कांग्रेस-एनसीपी से ख़ासे नाराज़ हैं. कुछ सांसदों ने नाराज़गी भी जताई है. इसलिए निकट भविष्य में सांसदों के दो-फाड़ होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है.
महाविकास अघाड़ी में शिवसेना लड़ेगी तो सीट किसको मिलेगी? इसलिए राजनीतिक जानकारों का कहना है कि एकनाथ शिंदे की पकड़ के बल पर शिवसेना के सांसद फैसला करेंगे.
वरिष्ठ पत्रकार राही भिड़े कहते हैं, ”एकनाथ शिंदे समूह के सामने बड़ी चुनौती क़ानूनी लड़ाई है. जब तक इसका निर्णय नहीं होता, तब तक सांसद कोई अंतिम फ़ैसला नहीं लेंगे.”